नयन कटार
रोज मिला करता हूँ उसे , पर बात नहीं कर पाता हूँ !
अपने दिल का मैं उसे नहीं हाल बयां कर पाता हूँ !
उसकी सखियाँ मरती मुझ पे, पर मैं उसपर मरता हूँ !
उसके सपनों मैं डूब कर मैं सारी, रात नहीं सो पाता हूँ !
बाल सुनहरे, चन्दन काया, नैना लगे कटार !
उनका चमकता रूप , नयन कटार नहीं सह पाता हूँ !
चाल से नागिन भी शरमाये, बदन लगे अँगार !
"प्रेम" छुए बिना उसे मैं, एक बार नहीं रह पाता हूँ !
प्रमोद मौर्य "प्रेम"
प्यार-प्रीत में पगी सुन्दर गजल!
लेखन नियमित रखिए!